"थरथराहट"(रुबाइ)

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  "ख़रामे-नाज़ वालों के   दबे पांवों की आहट हूं !   हसीनों  के  लबों  पर   चोट खायी मुस्कुराहट हूं!!   हूं मैं जोशे-मुहब्बत जिसे   नफ़रत  भी  है  प्यारी ...

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